Wednesday 16 October 2013

साथ नहीं खाने वाली चीजो में आवश्यक सावधानी

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आयुर्वेद के अनुसार किस-किस चीज को साथ नहीं खाना चाहिए और क्यों, जानते हैं

आयुर्वेद के मुताबिक किस-किस चीज को साथ नहीं खाना चाहिए और क्यों ?
आयुर्वेद के मुताबिक किस-किस चीज को साथ नहीं खाना चाहिए और क्यों ?
दूध के साथ दही लें या नहीं? दूध और दही दोनों की तासीर अलग होती है। दही एक खमीर वाली चीज है। दोनों को मिक्स करने से बिना खमीर वाला खाना (दूध) खराब हो जाता है। …
साथ ही, एसिडिटी बढ़ती है और गैस, अपच व उलटी हो सकती है। इसी तरह दूध के साथ अगर संतरे का जूस लेंगे तो भी पेट में खमीर बनेगा। अगर दोनों को खाना ही है तो दोनों के
बीच घंटे-डेढ़ घंटे का फर्क होना चाहिए क्योंकि खाना पचने में कम-से-कम इतनी देर तो लगती ही है।
दूध के साथ तला-भुना और नमकीन खाएं या नहीं? दूध में मिनरल और विटामिंस के अलावा लैक्टोस शुगर और प्रोटीन होते हैं। दूध एक एनिमल प्रोटीन है और उसके साथ ज्यादा मिक्सिंग करेंगे तो रिएक्शन हो सकते हैं। फिर नमक मिलने से मिल्क प्रोटींस जम जाते हैं और पोषण कम हो जाता है। अगर लंबे समय तक ऐसा किया जाए तो स्किन की बीमारियां हो सकती हैं। आयुर्वेद के मुताबिक उलटे गुणों और मिजाज के खाने लंबे वक्त तक ज्यादा मात्रा में साथ खाए जाएं तो नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन मॉडर्न मेडिकल साइंस ऐसा नहीं मानती।
सोने से पहले दूध पीना चाहिए या नहीं? आयुर्वेद के मुताबिक नींद शरीर के कफ दोष से प्रभावित होती है। दूध अपने भारीपन, मिठास और ठंडे मिजाज के कारण कफ प्रवृत्ति को बढ़ाकर नींद लाने में सहायक होता है। मॉडर्न साइंस में भी माना जाता है कि दूध नींद लाने में मददगार होता है। इससे सेरोटोनिन हॉर्मोन भी निकलता है, जो दिमाग को शांत करने में मदद करता है। वैसे, दूध अपने आप में पूरा आहार है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और कैल्शियम होते हैं। इसे अकेले पीना ही बेहतर है। साथ में बिस्किट, रस्क, बादाम या ब्रेड ले सकते हैं, लेकिन भारी खाना खाने से दूध के गुण शरीर में समा नहीं पाते।
दूध में पत्ती या अदरक आदि मिलाने से सिर्फ स्वाद बढ़ता है, उसका मिजाज नहीं बदलता। वैसे, टोंड दूध को उबालकर पीना, खीर बनाकर या दलिया में मिलाकर लेना और भी फायदेमंद है। बहुत ठंडे या गर्म दूध की बजाय गुनगुना या कमरे के तापमान के बराबर दूध पीना बेहतर है।
नोट : अक्सर लोग मानते हैं कि सर्जरी या टांके आदि के बाद दूध नहीं लेना चाहिए क्योंकि इससे पस पड़ सकती है, यह गलतफहमी है। दूध में मौजूद प्रोटीन शरीर की टूट-फूट को जल्दी भरने में मदद करते हैं। दूध दिन भर में कभी भी ले सकते हैं। सोने से कम-से-कम एक घंटे पहले लें। दूध और डिनर में भी एक घंटे का अंतर रखें।
खाने के साथ छाछ लें या नहीं? छाछ बेहतरीन ड्रिंक या अडिशनल डाइट है। खाने के साथ इसे लेने से खाने का पाचन भी अच्छा होता है और शरीर को पोषण भी ज्यादा मिलता है। यह खुद भी आसानी से पच जाती है। इसमें अगर एक चुटकी काली मिर्च, जीरा और सेंधा नमक मिला लिया जाए तो और अच्छा है। इसमें अच्छे बैक्टीरिया भी होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। मीठी लस्सी पीने से फालतू कैलरी मिलती हैं, इसलिए उससे बचना चाहिए। छाछ खाने के साथ लेना या बाद में लेना बेहतर है। पहले लेने से जूस डाइल्यूट हो जाएंगे।
दही और फल एक साथ लें या नहीं? फलों में अलग एंजाइम होते हैं और दही में अलग। इस कारण वे पच नहीं पाते, इसलिए दोनों को साथ लेने की सलाह नहीं दी जाती। फ्रूट रायता कभी-कभार ले सकते हैं, लेकिन बार-बार इसे खाने से बचना चाहिए।
आयुर्वेद के मुताबिक परांठे या पूरी आदि तली-भुनी चीजों के साथ दही नहीं खाना चाहिए क्योंकि दही फैट के पाचन में रुकावट पैदा करता है। इससे फैट्स से मिलनेवाली एनर्जी शरीर को नहीं मिल पाती।
दूध के साथ फल खाने चाहिए या नहीं? दूध के साथ फल लेते हैं तो दूध के अंदर का कैल्शियम फलों के कई एंजाइम्स को एड्जॉर्ब (खुद में समेट लेता है और उनका पोषण शरीर को नहीं मिल पाता) कर लेता है। संतरा और अनन्नास जैसे खट्टे फल तो दूध के साथ बिल्कुल नहीं लेने चाहिए। व्रत वगैरह में बहुत से लोग केला और दूध साथ लेते हैं, जोकि सही नहीं है। केला कफ बढ़ाता है और दूध भी कफ बढ़ाता है। दोनों को साथ खाने से कफ बढ़ता है और पाचन पर भी असर पड़ता है। इसी तरह चाय, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक के रूप में खाने के साथ अगर बहुत सारा कैफीन लिया जाए तो भी शरीर को पूरे पोषक तत्व नहीं मिल पाते।
मछली के साथ दूध पिएं या नहीं? दही की तासीर ठंडी है। उसे किसी भी गर्म चीज के साथ नहीं लेना चाहिए। मछली की तासीर काफी गर्म होती है, इसलिए उसे दही के साथ नहीं खाना चाहिए। इससे गैस, एलर्जी और स्किन की बीमारी हो सकती है। दही के अलावा शहद को भी गर्म चीजों के साथ नहीं खाना चाहिए।
फल खाने के फौरन बाद पानी पी सकते हैं, खासकर तरबूज खाने के बाद? फल खाने के फौरन बाद पानी पी सकते हैं, हालांकि दूसरे तरल पदार्थों से बचना चाहिए। असल में फलों में काफी फाइबर होता है और कैलरी काफी कम होती है। अगर ज्यादा फाइबर के साथ अच्छा मॉइश्चर यानी पानी भी मिल जाए तो शरीर में सफाई अच्छी तरह हो जाती है। लेकिन तरबूज या खरबूज के मामले में यह थ्योरी सही नहीं बैठती क्योंकि ये काफी फाइबर वाले फल हैं। तरबूज को अकेले और खाली पेट खाना ही बेहतर है। इसमें पानी काफी ज्यादा होता है, जो पाचन रसों को डाइल्यूट कर देता है। अगर कोई और चीज इसके साथ या फौरन बाद/पहले खाई जाए तो उसे पचाना मुश्किल होता है। इसी तरह, तरबूज के साथ पानी पीने से लूज-मोशन हो सकते हैं। वैसे तरबूज अपने आप में काफी अच्छा फल है। यह वजन घटाने के इच्छुक लोगों के अलावा शुगर और दिल के मरीजों के लिए भी अच्छा है।
खाने के साथ फल नहीं खाने चाहिए। कार्बोहाइड्रेट और प्रोटींस के पाचन का मिकैनिज्म अलग होता है। कार्बोहाइड्रेट को पचानेवाला स्लाइवा एंजाइम एल्कलाइन मीडियम में काम करता है, जबकि नीबू, संतरा, अनन्नास आदि खट्टे फल एसिडिक होते हैं। दोनों को साथ खाया जाए तो कार्बोहाइड्रेट या स्टार्च की पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इससे कब्ज, डायरिया या अपच हो सकती है। वैसे भी फलों के पाचन में सिर्फ दो घंटे लगते हैं, जबकि खाने को पचने में चार-पांच घंटे लगते हैं। मॉडर्न मेडिकल साइंस की राय कुछ और है। उसके मुताबिक, फ्रूट बाहर एसिडिक होते हैं लेकिन पेट में जाते ही एल्कलाइन हो जाते हैं। वैसे भी शरीर में जाकर सभी चीजें कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन आदि में बदल जाती हैं, इसलिए मॉडर्न मेडिकल साइंस तरह-तरह के फलों को मिलाकर खाने की सलाह देता है।
मीठे फल और खट्टे फल एक साथ न खाएं आयुर्वेद के मुताबिक, संतरा और केला एक साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि खट्टे फल मीठे फलों से निकलनेवाली शुगर में रुकावट पैदा करते हैं, जिससे पाचन में दिक्कत हो सकती है। साथ ही, फलों की पौष्टिकता भी कम हो सकती है। मॉडर्न मेडिकल साइंस इससे इत्तफाक नहीं रखती।
खाने के साथ पानी पिएं या नहीं? पानी बेहतरीन पेय है, लेकिन खाने के साथ पानी पीने से बचना चाहिए। खाना लंबे समय तक पेट में रहेगा तो शरीर को पोषण ज्यादा मिलेगा। अगर पानी ज्यादा लेंगे तो खाना फौरन नीचे चला जाएगा। अगर पीना ही है तो थोड़ा पिएं और गुनगुना या नॉर्मल पानी पिएं। बहुत ठंडा पानी पीने से बचना चाहिए। पानी में अजवाइन या जीरा डालकर उबाल लें। यह खाना पचाने में मदद करता है। खाने से आधा घंटा पहले या एक घंटा बाद गिलास भर पानी पीना अच्छा है।
लहसुन या प्याज खाने चाहिए या नहीं? लहसुन और प्याज को रोजाना के खाने में शामिल किया जाना चाहिए। लहसुन फैट कम करता है और बैड कॉलेस्ट्रॉल (एलडीएल) घटाकर गुड कॉलेस्ट्रॉल (एचडीएल) बढ़ाता है। इसमें एंटी-बॉडीज और एंटी-ऑक्सिडेंट गुण होते हैं। प्याज से भूख बढ़ती है और यह खून की नलियों के आसपास फैट जमा होने से रोकता है। लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से सर्दी-जुकाम और सांस संबंधी एलर्जी का मुकाबला अच्छे से किया जा सकता है। लहसुन और प्याज कच्चा या भूनकर, दोनों तरह से खा सकते हैं। लेकिन लहसुन कच्चा खाना बेहतर है। कच्चे लहसुन को निगलें नहीं, चबाकर खाएं क्योंकि कच्चा लहसुन कई बार पच नहीं पाता। साथ ही, उसमें कई ऐसे तेल होते हैं, जो चबाने पर ही निकलते हैं और उनका फायदा शरीर को मिलता है।
परांठे के साथ दही खाएं या नहीं? आयुर्वेद के मुताबिक परांठे या पूरी आदि तली-भुनी चीजों के साथ दही नहीं खाना चाहिए क्योंकि दही फैट के पाचन में रुकावट पैदा करता है। इससे फैट्स से मिलनेवाली एनजीर् शरीर को नहीं मिल पाती। दही खाना ही है तो उसमें काली मिर्च, सेंधा नमक या आंवला पाउडर मिला लें। हालांकि रोटी के साथ दही खाने में कोई परहेज नहीं है। मॉडर्न साइंस कहता है कि दही में गुड बैक्टीरिया होते हैं, जोकि खाना पचाने में मदद करते हैं इसलिए दही जरूर खाना चाहिए।
फैट और प्रोटीन एक साथ खाएं या नहीं? घी, मक्खन, तेल आदि फैट्स को पनीर, अंडा, मीट जैसे भारी प्रोटींस के साथ ज्यादा नहीं खाना चाहिए क्योंकि दो तरह के खाने अगर एक साथ खाए जाएं, तो वे एक-दूसरे की पाचन प्रक्रिया में दखल देते हैं। इससे पेट में दर्द या पाचन में गड़बड़ी हो सकती है।
दूध, ब्रेड और बटर एक साथ लें या नहीं? दूध को अकेले लेना ही बेहतर है। तब शरीर को इसका फायदा ज्यादा होता है। आयुर्वेद के मुताबिक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट की ज्यादा मात्रा एक साथ नहीं लेनी चाहिए क्योंकि तीनों एक-दूसरे के पचने में रुकावट पैदा कर सकते हैं और पेट में भारीपन हो सकता है। मॉडर्न साइंस इसे सही नहीं मानता। उसके मुताबिक यह सबसे अच्छे नाश्तों में से है क्योंकि यह अपनेआप में पूरा है।
तरह-तरह की डिश एक साथ खाएं या नहीं? एक बार के खाने में बहुत ज्यादा वैरायटी नहीं होनी चाहिए। एक ही थाली में सब्जी, नॉन-वेज, मीठा, चावल, अचार आदि सभी कुछ खा लेने से पेट में खलबली मचती है। रोज के लिए फुल वैरायटी की थाली वाला कॉन्सेप्ट अच्छा नहीं है। कभी-कभार ऐसा चल जाता है।
खाने के बाद मीठा खाएं या नहीं? मीठा अगर खाने से पहले खाया जाए तो बेहतर है क्योंकि तब न सिर्फ यह आसानी से पचता है, बल्कि शरीर को फायदा भी ज्यादा होता है। खाने के बाद में मीठा खाने से प्रोटीन और फैट का पाचन मंदा होता है। शरीर में शुगर सबसे पहले पचता है, प्रोटीन उसके बाद और फैट सबसे बाद में।
खाने के बाद चाय पिएं या नहीं? खाने के बाद चाय पीने से कई फायदा नहीं है। यह गलत धारणा है कि खाने के बाद चाय पीने से पाचन बढ़ता है। हालांकि ग्रीन टी, डाइजेस्टिव टी, कहवा या सौंफ, दालचीनी, अदरक आदि की बिना दूध की चाय पी सकते हैं।
छोले-भठूरे या पिज्जा/बर्गर के साथ कोल्ड ड्रिंक्स लें या नहीं? कोल्ड ड्रिंक में मौजूद एसिड की मात्रा और ज्यादा शुगर फास्ट फूड (पिज्जा, बर्गर, फ्रेंच फ्राइस आदि) में मौजूद फैट के साथ अच्छा नहीं माना जाता। तला-भुना खाना एसिडिक होता है और शुगर भी एसिडिक होती है। ऐसे में दोनों को एक साथ लेना सही नहीं है। साथ ही बहुत गर्म और ठंडा एक साथ नहीं खाना चाहिए। गर्मागर्म भठूरे या बर्गर के साथ ठंडा कोल्ड ड्रिंक पीना शरीर के तापमान को खराब करता है। स्नैक्स में मौजूद फैटी एसिड्स शुगर का पाचन भी खराब करते हैं। फास्ट फूड या तली-भुनी चीजों के साथ कोल्ड ड्रिंक के बजाय जूस, नीबू-पानी या छाछ ले सकते हैं। जूस में मौजूद विटामिन-सी खाने को पचाने में मदद करता है।
भारी काबोर्हाइड्रेट्स के साथ भारी प्रोटीन खाएं या नहीं? मीट, अंडे, पनीर, नट्स जैसे प्रोटीन ब्रेड, दाल, आलू जैसे भारी कार्बोहाइड्रेट्स के साथ न खाएं। दरअसल, हाई प्रोटीन को पचाने के लिए जो एंजाइम चाहिए, अगर वे एक्टिवेट होते हैं तो वे हाई कार्बो को पचाने वाले एंजाइम को रोक देते हैं। ऐसे में दोनों का पाचन एक साथ नहीं हो पाता। अगर लगातार इन्हें साथ खाएं तो कब्ज की शिकायत हो सकती है
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मोटापा कम करने के अचूक उपाय

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PIX: मोटापा कम करने के कुछ बेहद खास प्राचीन आदिवासियों के नुस्खे
1.गाजर का भरपूर सेवन किया जाना चाहिए खास तौर से खाना खाने से पहले। आधुनिक विज्ञान भी गाजर को मोटापा कम करने में कारगर मानता है।
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PIX: मोटापा कम करने के कुछ बेहद खास प्राचीन आदिवासियों के नुस्खे
शहद एक काम्पलेक्स शर्करा की तरह है, जो मोटापा कम करने में काफी हद तक मदद करता है। गर्म पानी में एक चम्मच शहद डालकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीने से कुछ ही समय में परिणाम दिखने लगते हैं, कुछ जगहों पर लोग इसी मिश्रण में एक चम्मच नींबू रस भी डाल देते है, दोनों फार्मूले हितकर हैं। कई लोग दिन भर सिर्फ नींबू पानी और शहद का मिश्रण पीकर उपवास भी करते है। माना जाता है कि यह एक कारगर देसी फार्मूला है।
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PIX: मोटापा कम करने के कुछ बेहद खास प्राचीन आदिवासियों के नुस्खे
गुग्गुल गोंद को दिन मे दो बार पानी में घोलकर या हल्का गुनगुना कर सेवन करने से वजन कम करने में मदद मिलती है।
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PIX: मोटापा कम करने के कुछ बेहद खास प्राचीन आदिवासियों के नुस्खे
सोंठ, दालचीनी की छाल और काली मिर्च (3 ग्राम प्रत्येक) लेकर कुचल लिया जाए और चूर्ण बनाया जाए। इस पूरे चूर्ण को दो हिस्सों में बांटकर एक हिस्सा सुबह खाली पेट और दूसरा रात सोने से पहले लिया जाना चाहिए। चूर्ण को एक पानी में डालकर, घोलकर पिया जा सकता है।
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PIX: मोटापा कम करने के कुछ बेहद खास प्राचीन आदिवासियों के नुस्खे
पुदीना की ताजी हरी पत्तियों की चटनी बनाई जाए और चपाती के साथ सेवन किया जाए, असरकारक होती है। आदिवासी पुदीना की चाय भी पीने की सलाह देते हैं।
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PIX: मोटापा कम करने के कुछ बेहद खास प्राचीन आदिवासियों के नुस्खे
हर्रा या हरड और बहेडा के फल का चूर्ण एक एक चम्मच लेकर 50 ग्राम परवल का जूस (1 गिलास) के साथ मिलाकर प्रतिदिन लिया जाए, वजन तेजी से कम होने लगता है तथा शारीरिक थकान में भी कमी आती है।
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PIX: मोटापा कम करने के कुछ बेहद खास प्राचीन आदिवासियों के नुस्खे
करेले की अध कच्ची सब्जी भी वजन कम करने में काफी मदद करती है, उत्तर मध्यप्रदेश के आदिवासी सहजन या मुनगा की फलियों की सब्जी को मोटापा कम करने में असरकारक मानते हैं
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PIX: मोटापा कम करने के कुछ बेहद खास प्राचीन आदिवासियों के नुस्खे
लटजीरा या चिरचिटा के बीजों को एकत्र करके, किसी मिट्टी के बर्तन में हल्की आंच पर भून लिया जाए और एक-एक चम्मच दिन में दो बार फांकी मार ली जाए, बस देखिए कितनी तेजी से फायदा होता है।
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PIX: मोटापा कम करने के कुछ बेहद खास प्राचीन आदिवासियों के नुस्खे
ताजी पत्ता गोभी का रस भी वजन कम करने में काफी मदद करता है। आदिवासियों के अनुसार प्रतिदिन रोज सुबह ताजी हरी पत्ता गोभी को पीसकर रस तैयार किया जाए और पिया जाए तो यह शरीर की चर्बी को गलाने में मदद करता है। रोचक बात यह भी है कि आधुनिक विज्ञान भी इस बात की पैरवी करता है कि कच्ची पत्ता गोभी शर्करा और अन्य कार्बोहाइड्रेट को वसा में बदलने से रोकती है और यह वजन कम करने में सहायक है
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PIX: मोटापा कम करने के कुछ बेहद खास प्राचीन आदिवासियों के नुस्खे
आधा चम्मच सौंफ लेकर एक कप खौलते पानी में डाल दी जाए और 10 मिनिट तक इसे ढांककर रखा जाए और बाद में ठंडा होने पर पी लिया जाए। ऐसा तीन माह तक लगातार किया जाना चाहिए, वजन कम होने लगता है।
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हस्तरेखा विज्ञान और हाथ से जुड़े संपूर्ण तथ्य

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सीखें भारत की सैकड़ों साल पुरानी विद्या जो बताती है भविष्य 
क्या है हस्तरेखा विज्ञान-
इस विज्ञान से आप किसी का भी भविष्य जान सकते हैं। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार हर इंसान अपनी किस्मत हाथ में लिखा कर जन्म लेता है। आपके कर्मों के अनुसार हाथ की रेखाएं बनती और बिगड़ती रहती है। हाथ की रेखाएं आपको समय समय पर बताती है कि कब क्या होने वाला है। इंसान जब गर्भ में होता है और जब उसके हाथ बनते हैं तब से रेखाएं भी बनना शुरु हो जाती है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार हाथ का आकार और रेखाएं मिलकर आपका भविष्य बताते हैं। अगर आपकी साथ कुछ अच्छा या बुरा होने वाला है तो हाथ की रेखाएं बनती और बिगड़ती रहती है। अगर आपने कोई बुरा या अच्छा काम किया है तो भी आपके हाथ की रेखाएं बदलने लगती है
सीखें भारत की सैकड़ों साल पुरानी विद्या जो बताती है भविष्य
हस्तरेखा का इतिहास-
हस्तरेखा शास्त्र भारत के अलावा चीन और रोम में भी भविष्य जाननें की महत्वपूर्ण कला है। पुराणों और ग्रन्थों का इतिहास टटोला जाए तो कहीं कहीं माना गया है कि हिंदू ऋषि वाल्मीकि जी ने एक पुस्तक लिखी जो हस्तरेखा पर है। जिसमें 567 श्लोक हैं। ये विद्या खास तौर भारत की ही है, और सैकड़ों वर्ष पुरानी इस विद्या से भविष्य ज्ञान किया जाता है। भारत से, हस्तरेखा कला का चीन, तिब्बत, मिस्र, फारस और यूरोप के अन्य देशों में प्रसार हुआ। चीन से, हस्तरेखा शास्त्र का यूनान में प्रसार हुआ, जहां अनेक्सागोरस ने इसका प्रयोग किया. लेकिन, आधुनिक हस्तरेखा शास्त्री अक्सर भविष्य करने वाली पारंपरिक तकनीक को मनोविज्ञान, संपूर्ण निदान, अनुमान के वैकल्पिक तरीकों से भी जोड़ते रहे हैं।सीखें भारत की सैकड़ों साल पुरानी विद्या जो बताती है भविष्यकैसे देखा जाता है भविष्य-
हस्तरेखा शास्त्र में पूरे हाथ से या व्यक्ति की हथेली को पढ़कर उसके चरित्र और भविष्य के जीवन का मूल्यांकन किया जाता है। इस विद्या में हाथ की विभिन्न लाइनों (रेखाओं) से भविष्य पढ़ा जाता है। इसके अलावा हथेली के  उभार अंगुलियों के नीचले हिस्सों को भी ध्यान में रखकर भविष्य बताया जाता है। हस्तरेखा शास्त्र में उंगलियों, नाखूनों, उंगलियों के निशान और व्यक्ति की त्वचा की रेखाओं (डर्मेटोग्लिफिक्स), त्वचा की बनावट व रंग, आकार, हथेली के आकार और हाथ का लचीलापन भी देखते हैं।सीखें भारत की सैकड़ों साल पुरानी विद्या जो बताती है भविष्य
कौन सा हाथ बताता है भविष्य, किस हाथ में छुपा है भविष्य
यद्यपि इस बात पर बहस होती रही है कि कौन सा हाथ पढऩा बेहतर है, पर दोनों का अपना महत्व है। यह माना जाता है कि बांया हाथ व्यक्ति की संभावनाओं को प्रदर्शित करता है, और दाहिना सही व्यक्तित्व का प्रदर्शक होता है। कुछ विद्वानों का कहना है कि महत्व इस बात का है कि कौन सा हाथ देखा जाता है। दाहिने हाथ से भविष्य और बाएं से अतीत देखा जाता है। बायां हाथ बताता है कि हम क्या-क्या लेकर पैदा हुए हैं और दाहिना दिखाता है कि हमने इसे क्या बनाया है। दाहिना हाथ पुरुषों का पढ़ा जाता है, जबकि महिलाओं का बायां हाथ पढ़ा जाता है। बांया हाथ बताता है कि ईश्वर ने आपको क्या दिया है, और दायां बताता है कि आपको इस संबंध में क्या करना है।
बायां हाथ दाहिने मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित किया जाता है। (नमूने की पहचान, संबंधों की समझ-बूझ) जिससे व्यक्ति की आंतरिक खासियतों, उसकी प्रकृति, आत्म, स्त्रैण गुण, और समस्याओं के निदान का प्रतिबिंबित होता है।
इसके विपरीत दाहिना हाथ बांए मस्तिष्क (तर्क, बुद्धि और भाषा) द्वारा नियंत्रित होता है, जो बाहरी व्यक्तित्व, आत्म उद्देश्य, सामाजिक माहौल का प्रभाव, शिक्षा और अनुभव को प्रतिबिंबित करता है।
एक हस्तरेखाविद् आमतौर पर व्यक्ति के 'प्रमुख हाथ से किस्मत पता कर सकते हैं। जिससे वह लिखता है/लिखती है या जिसका सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। मनुष्य जो कभी-कभी सचेत मन का प्रतिनिधित्व करता है और दूसरा हाथ अवचेतन का संकेत करता है। हस्तरेखा विज्ञान की कुछ परंपराओं में दूसरे हाथ को वंशानुगत या परिवार के लक्षणों को धारण किया हुआ माना जाता है। जिससे अतीत के जीवन या पूर्व जन्म की जानकारी मिलती है। वैसे कुछ विद्वान पुरूषों का दायां हाथ और महीलाओं का बायां हाथ देखा जाता है।सीखें भारत की सैकड़ों साल पुरानी विद्या जो बताती है भविष्य
क्या- क्या देख सकते हैं
हस्तरेखाओं से आप भूत, भविष्य और बर्तमान, सबकुछ देख सकते हैं आपके हाथ में छुपे किस्मत के इशारे भी असानी से देखे जा सकते हैं। हाथ के रेखाओं से प्यार, पैसा, किस्मत और पैसों से जुड़े हर मामलों के बारे में पता चल जाता है। आपके दैनिक जीवन से जुड़ी बातें भी हाथ की रेखाओं से पता चल जाती है। हर तरह की घटना-दुर्घटनाएं जो भूतकाल में आपके साथ हुई हैं या जो आपके साथ होनी है। हाथ की रेखाओं से ये भी पता चल जाता है कि आपकी किस्मत कब बदलेगी। हाथ की बनावट और रेखाएं आपका व्यक्तित्व और चरित्र भी बताती हैं।सीखें भारत की सैकड़ों साल पुरानी विद्या जो बताती है भविष्य

जानिए कैसे, कब क्या होगा आपके साथ-
- अगर किसी की हथेली मोटी या भारी हो तो वो जातक लालची होता है, तथा सामान्य स्तर का जीवन यापन करता है।
- संकड़ी हथेली हो तो ऐसे लोग कमजोर प्रकृति वाले, अपने स्वार्थ को सर्वाधिक महत्व देते हैं ।
- पतली तथा कमजोर हथेली वाला जातक गरीबी का जीवन जीता है।
-  लंबी हथेली वाले स्पष्टवादी व्यक्ति होते हैं और हर बात मुंह पर बोलने वाले होते हैं।
-लंबी किंतु गोल हथेली वाले अवसरवादी व हंसमुख होते हैं तथा ऐसे लोगों का आर्थिक पक्ष अच्छा होता है।
- समचौरस हथेली यानी- हथेली की लंबाई और चौड़ाई बराबर हो तो वे व्यक्ति स्वस्थ, शांत और दृढ़ निश्चयी होते हैं। पुरुषार्थी अपने प्रयत्न से उन्नति करने वाले, किसी भी कार्य को पूरा किये बिना नहीं छोड़ते हैं।
अंगूठा
-अंगूठा जितना लंबा होगा, व्यक्ति उतना ही व अपने आप पर कंट्रोल करने वाला होता है तथा अंगूठा जितना छोटा होगा, व्यक्ति उतना ही शैतानी स्वभाव का होता है या स्वभाव से जिद्दी और आर्थिक स्थिति कमजोर होगी।
-अंगूठा जितना मोटा होगा वह व्यक्ति उतना ही गरीबी हालत में होगा।
- अंगूठा सीधा रहता हुआ दिखलाई दे और अंगूठे की नाखून वाली सबसे ऊपर का पोर पीछे की तरफ  झुकी हुई हो तो ऐसे जातक की धन दौलत रिश्तेदारों के या सगे संबंधियों के काम आती है। ऐसा जातक स्वभाव से नम्र होता है।
- सख्त हाथ वाला जातक -राज्य करने वाला तथा अपनी छबी छोडऩे वाला होता है और ऐसे जातक का जीवन रूखा और कठोर सा होता है। ऐसे जातक अपने आप को ज्यादा महत्व देते हैं। बाधाओं के आने पर भी निराश नहीं होते, बाधाओं में भी कार्य करते रहते हैं।
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